Chandan Yatra का उत्सव वैशाख की अक्षय तृतीया को शुरू होता है यह त्यौहार अक्षय तृतीया के दिन शुरू होने की परंपरा से कुछ वर्षों में चंदन यात्रा उत्सव का रूप ले रहा है। इस त्योहार पर भगवान श्री कृष्ण को विश्व भर में चंदन का लेप लगाया जाता है। भगवान श्री कृष्ण को चंदन के लेप की शीतलता देखकर भक्त उनसे अपने तापो को हरने का निवेदन करते हैं। यह त्यौहार 21 दिनों तक चलता है। यह त्योहार ज्येष्ठ माह की कृष्ण अष्टमी तक चलता है। वृंदावन के सभी मंदिरों में अक्षय तृतीया के दिन भगवान को चंदन के लेप से पूरा ढक दिया जाता है। फूलों की पोशाक में भगवान का दिव्य रूप सभी भक्तों का मन मोह लेता है |
आधिकारिक नाम | चंदन यात्रा |
धर्म | हिंदू धर्म |
चंदन यात्रा का आरंभ | वैशाख की अक्षय तृतीया को शुरू |
चंदन यात्रा का समापन | ज्येष्ठ माह की कृष्ण अष्टमी तक |
अनुयायी | भारतीय,असम |
आराधना | शिवजी के 5 शिवलिंग को पंच पांडव के रूप में जाना जाता है। |
Chandan Yatra के विभिन्न स्थान –
पहले की दिनों में जगन्नाथ जी के मंदिर के मुख्य देवताओं की मुख्य मूर्तियों के साथ-साथ शिवजी के 5 शिवलिंग को पंच पांडव के रूप में जाना जाता है। जिन्हें पूरी में जगन्नाथ जी के मंदिर के सिंहद्वार शेर नरेंद्र तीर्थ तालाब तक जुलूस में लाया जाता है। मदन मोहन, भूदेवी, श्रीदेवी, और श्री कृष्ण इस यात्रा में 21 दिनों तक भाग लेते हैं। देवताओं को दो नावों में ले जाया जाता है। और नंदा,भद्र,नरेंद्र और त्रिथा के चारों ओर एक भ्रमण कराते हैं। तरह-तरह की भुजाओं के बाद देवताओं को जगन्नाथ जी के मंदिर के पास स्थित नरेंद्र तालाब में लाया जाता है और उन्हें तालाब में एक भव्य रुप से सजाए गए नाव में रखा जाता है।
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Chandan Yatra का इतिहास –
माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ में राजा को इस उत्सव को मनाने के लिए आदेश दिया था। एक बार गोपाल ने माधवेंद्र पुरी को सपने में जमीन खोदकर उत्पन्न होने का अनुरोध प्रकट किया था। माधवेंद्र पुरी ने गांव वालों की मदद से वहां की जगह को खोदा और वहां मिले गोपाल जी की मूर्ति को उन्होंने गोवर्धन पर्वत पर स्थापित किया। कुछ समय बाद कृष्ण ने कहा कि वह बहुत समय जमीन में रहने के कारण उनका शरीर ताप के कारण जल रहा है तो वह जगन्नाथपुरी से चंदन लाकर उनके शरीर पर लैपन करें जिससे उनके शरीर का ताप कम हो जाए। तभी सभी गांव के लोगों ने पैदल चलकर जगन्नाथपुरी से चंदन लेकर आए।
उन्हें रास्ते में एक मंदिर दिखा जहां वह रुके और वहां के लोगों को मंदिर में गोपीनाथ जी को खीर का भोग लगाते देख पूरी ने सोचा कि अगर ऐसी खीर वह भी खा पाते तो वैसी खीर का भोग अपने श्री गोपाल को भी लगाते। ऐसी बात सोच कर वह रात को सो गए। उधर गोपीनाथ जी ने उनके पुजारी को रात में स्वप्न में बताया कि एक मेरा वक्त यहां आया है उसके लिए मैंने खीर चुराई है वह खीर उसे दे दो।

खीर चोर –
वह चोरी भगवान के भक्तों के लिए इतनी प्रसिद्ध हो गई कि उनका नाम गोपीनाथ खीर चोर पड़ गया। माधवेंद्र पुरी ने भगवान जगन्नाथ के पुजारी से मिलकर गोपाल के लिए चंदन की मांग की। तो पुजारी ने महाराज को बताया और महाराज ने अपने क्षेत्र में से 40 किलो चंदन लकड़ी अपने 2 अनुच्छेदों के साथ मानवेंद्र पूरी को भिजवा दी। इस यात्रा का यह कारण माना जाता है कि भीषण गर्मी के कारण भगवान को चंदन का लेप किया जाता है। यह Chandan Yatra का पर्व 21 दिनों तक मनाया जाता है। जिसमें भगवान के भक्त भगवान को ठंड पहुंचाने के लिए अलग-अलग व्यवस्था करते हैं और भगवान को भूषण गर्मी से राहत देने की कोशिश करते हैं।
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People also ask about Chandan Yatra –
पहले 21 दिनों में जगन्नाथ मंदिर के मुख्य देवताओं की प्रतिनिधि मूर्तियों के साथ-साथ पंच पांडव के रूप में जाने जाने वाले पांच शिवलिंगों को पुरी के सिंहद्वार या जगन्नाथ मंदिर के शेर गेट से नरेंद्र तीर्थ टैंक तक ले जाया जाता है।
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यात्रा पुरी में नरेंद्र पोखरी (तालाब) में होती है। अनुष्ठानों के अनुसार, भगवान जगन्नाथ की प्रतिनिधि मूर्ति के साथ-साथ पांच शिवलिंग, जिन्हें पंच पांडव के रूप में जाना जाता है, को मंदिर के सिंहद्वार से नरेंद्र पोखरी तक एक जुलूस में ले जाया जाता है।