Eid al-Fitr: मुसलमान रमजान महीने के बाद एक मजहबी त्योहार मनाते हैं जिसे ईद उल फितर कहते हैं। यह त्योहार हर साल अल – मुकर्रम को मनाया जाता है Eid al-Fitr इस्लामी कैलेंडर के 10 महीने के शवाला के पहले दिन मनाया जाता है। इस्लामी कैलेंडर के सभी महिलाओं की तरह यह महीना भी नया चांद दिखने पर ही प्रारंभ होता है।
आधिकारिक | अरबी, عيد الفطر |
नाम | ईद उल-फ़ित्र |
अनुयायी | मुस्लिम |
प्रकार | इस्लामी |
उद्देश्य | रमजान के रोजों के बाद का त्यौहार |
उत्सव | कुटुंब, सामाजिक व सामूहिक दावत, पारंपरिक खाने, इत्र लगाना, नए कपडे पहनना, तोहफ़े देना इत्यादी |
अनुष्ठान | ईद की नमाज़, दान धर्म |
समान पर्व | रमदान, ईद अल-अज़हा |
तिथि | 1 शव्वाल |
मुसलमानों का यह त्योहार ईद जोकि एक भाईचारे का प्रतीक है और भाईचारे की भावना को जगाता है। इस त्यौहार को सभी मुसलमान भाई एक साथ मिलकर बनाते हैं। और अपने अल्लाह से सुख शांति की कामना करते हैं। सारे विश्व में ईद की खुशी को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
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Eid al-Fitr क्यों मनाया जाता है –
ईद में मुस्लिम समुदाय के लोग बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं ईद त्योहार मुस्लिम समुदाय के लोगों का एक प्रमुख त्योहार है। ईद का यह पर्व रमजान के 30 रोजों के बाद चांद देखकर मनाया जाता है। वैसे तो इस पर्व को मनाने के सारे मत प्रचलित है लेकिन इस्लाम मे इसकी मान्यता सबसे अधिक प्रचलित है उसके अनुसार इस दिन पैगंबर मोहम्मद साहब ने भद्र के युद्ध में विजय प्राप्त की थी। उसी दिन से इस त्यौहार की शुरुआत हुई। दुनियाभर के मुसलमान इस दिन को बड़े धूमधाम से मनाते है।
वास्तव में Eid al-Fitr का यह ज्वार भाईचारे और प्रेम को बढ़ावा देने वाला त्योहार है।
क्योंकि इस त्यौहार को मुस्लिम समुदाय के लोग दूसरे समुदाय के लोगों के साथ मिलकर बड़ी खुशी से मनाते हैं। उन्हें अपने घर दावत के लिए न्योता देते हैं और अल्लाह से उनके सुख वह समृद्धि की कामना करते हैं। यही कारण है कि Eid al-Fitr को इतनी खुशी के साथ मनाया जाता है।

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गोया Eid al-Fitr –
गोया Eid al-Fitr अल्लाह की तरफ से जो पाबंदियां रमजान माह में लगाई गई थी मैं अब खत्म की जाती है। इसी फितर से फितरा बनना है वह रकम जो खाते पीते घरों के लोग कमजोर आर्थिक लोगों को खाने-पीने की सामग्री लेते हैं ईद की नमाज से पहले इसका अदा करना जरूरी होता है उसी तरह अमीर के साथ ही गरीब की साधन संपन्न के साथ साधन विहीन ईद भी मन जाती है।
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ईद उल फितर का इतिहास –
मुसलमानों का यह त्योहार ईद रमजान का चांद डूबने और ईद का चांद नजर आने पर उस अगले दिन चांद की पहली तारीख को मनाया जाता है। इस्लाम में दो ईद बनाई जाती है जिसमें से यह पहली ईद है पहली Eid al-Fitr गब्बर मोहब्बत ने 624 ईस्वी में जंग-ए-बदर के बाद बनाई थी। Eid al-Fitr के बारे में अल्लाह के बंदे अल्लाह की इबादत करते हैं। रोजा रखते हैं। और कुरान को पढ़कर अपने मन को शांति प्रदान करते हैं। जिसका मजदूरी बिल्ले का दिन ही ईद का दिन कहलाता है। जैसे त्योहार के रूप में पूरे विश्व भर के मुसलमान भाई मनाते हैं।
Eid al-Fitr का सबसे महत्वपूर्ण मकसद एक और है की इसमें गरीबों को दान देना वाजिब है। जिससे वह लोग जो गरीब है और मजबूर है अपनी ईद बना सके नए कपड़े पहन सके और समाज मैं एक दूसरे के साथ खुशियां बांट सके उनके लिए यह दान वाजिब है। यह खुशी खासतौर से इसलिए भी है कि रमजान का महीना जो एक तरह से लोगों की परीक्षा का महीना है इस महीने में अल्लाह के नेक बनो रे पूरी अकीदतें वह इमानदारी वह लगन से अल्लाह के हुक्म चल बे बे गुजारा। और इस कठोर आजमाइश के बाद का उपहार है ईद।
People also ask about Eid al-Fitr –
इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार जंग-ए-बद्र के बाद ईद-उल-फितर की शुरुआत हुई थी. बताया जाता है कि इस जंग का नेतृत्व ख़ुद पैग़ंबर मोहम्मद साहब ने किया था और इस जंग में मुस्लिम समुदाय की फतह हुई थी. मुस्लिम समुदाय के लोग ईद वाले दिन अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हैं क्योंकि अल्लाह ने उन्हें 30 दिनों तक रोज़े रखने की ताकत दी है
पहली Eid al-Fitr पैगंबर मुहम्मद ने सन् 624 ईस्वी में जंग-ए-बदर के बाद मनाया थी। पैगंबर हजरत मोहम्मद ने बद्र के युद्ध में विजय प्राप्त की थी। उनके विजयी होने की खुशी में यह त्योहार मनाया जाता है। ईद के दिन मस्जिदों में सुबह की नमाज अदा करने से पहले हर मुसलमान का फर्ज है कि वो दान या जकात दे।
पहली ईद रमजान के रोजों की समाप्ति के अगले दिन मनाई जाती है जिसे ‘Eid al-Fitr’ कहते हैं और दूसरी हजरत इब्राहीम और हजरत इस्माइल द्वारा दिए गए महान बलिदानों की स्मृति में मनाई जाती है अर्थात ‘इर्द-उल-अजीहा।