Gangaur – गणगौर त्योहार के बारे में सम्पूर्ण जानकारी

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Gangaur - गणगौर

Gangaur भारत के महत्वपूर्ण त्योहारो में से एक है जो राजस्थान एवं मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश के निमाड, मालवा, बुंदेलखंड और ब्रज क्षेत्रो का एक त्यौहार है जो चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया को आता है इस दिन कुंवारी लड़कियां तथा विवाहित महिलाएं भगवान शिव जी और माता पार्वती की पूजा करती है गणगौर के दिन महिलाएं पूजा करते हुए दूब से पानी के छींटे देती हुई ‘गोर गोर गोमती’ गीत गाती है। Gangaur पूजन के समय रेणुका की गोर बनाकर उस पर महावर, सिंदूर और चूड़ी चढ़ाने का विशेष प्रावधान माना जाता है। तथा अनेक पकवान इस पर चढ़ाए जाते हैं तथा गणगौर पूजन करते हैं।

आधिकारिक नामगणगौर
अनुयायीभारतीय, प्रवासी भारतीय
उद्देश्यभगवान शिव जी और माता पार्वती की पूजा करना
तिथिचैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया
धर्म हिन्दू धर्म
पर्व का महत्व कुंवारी लड़कियां मनपसंद वर पाने, विवाहित महिलाएं व्रत कर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती है
Gangaur in hindi

Gangaur क्यों मनाते हैं –

गणगौर के इस पावन पर्व में पर कुंवारी लड़कियां मनपसंद वर पाने की कामना करती है तथा विवाहित महिलाएं चैत्र शुक्ल तृतीया को गणगौर पूजन तथा व्रत कर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती है गणगौर की पूजा में गाये जाने वाले लोकगीत इस अनूठे पर्व की आत्मा हैं। इस पर्व में गवरजा और ईसर की बड़ी बहन और जीजाजी के रूप में गीतों के माध्यम से पूजा होती है तथा उन गीतों के उपरांत अपने परिजनों के नाम लिए जाते हैं। राजस्थान के कई प्रदेशों में Gangaur पूजन एक आवश्यक वैवाहिक रीत के रूप में भी प्रचलित है।

Gangaur व्रत कथा –

Gangaur की व्रत कथा के मुताबिक एक बार भगवान शिव और माता पार्वती वन में घूमने गए थे और चलते चलते उन्होंने देखा कि वह दोनों बहुत ही घने वन में पहुंच गए। तब माता पार्वती ने भगवान शिव से कहा कि हे भगवान मुझे प्यास लगी है। इस पर भगवान शिव ने कहा कि देवी देखो उस और पक्षी उड़ रहे हैं उस स्थान पर अवश्य ही जल मौजूद होगा। पार्वती जी वहां गई, उस जगह पर एक नदी बह रही थी पार्वती जी ने पानी को अंजलि भरी तो उनके हाथ में दूब का गुच्छा आ गया जब उन्होंने दूसरी बार अंजलि भरी तो टेसू के फूल उनके हाथ में आ गए। और तीसरी बार अंजलि भरने पर ढोकला नामक फल हाथ में आ गया।

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इस बात से पार्वती जी के मन में कई तरह के विचार उठने लगे परंतु उनकी समझ में कुछ नहीं आया उसके बाद भगवान शिव शंभू ने उन्हें बताया कि आज चैत्र शुक्ल तीज है। विवाहित महिलाएं आज के दिन अपने सुहाग के लिए गौरी उत्सव करती है। गौरी जी को चढ़ाए गए दूब, फूल और अन्य सामग्री नदी में बह कर आ गए थे। इस पर पार्वती जी ने विनती की कि है स्वामी दो दिन के लिए आप मेरे माता-पिता का नगर बनवा दें जिससे सारी स्त्रियां वहीं आकर Gangaur के व्रत को करें। और मैं खुद ही उनके सुहाग की रक्षा का आशीर्वाद दूं।

भगवान शंकर ने ऐसा ही किया –

थोड़ी देर में बहुत-सी स्त्रियों का एक दल आया तो पार्वती जी को चिंता हुई और वह महादेव जी से कहने लगी कि हे प्रभु मैं तो पहले ही उन्हें वरदान दे चुकी हूं अब आप अपनी ओर से सौभाग्य का वरदान दें। पार्वती जी के कहने पर भगवान शिव ने उन्हें सभी स्त्रियों को सौभाग्यवती रहने का वरदान दिया भगवान शिव और माता पार्वती ने जैसे उन स्त्रियों की मनोकामना पूरी की, वैसे ही भगवान शिव और गौरी माता इस कथा को पढ़ने और सुनने वाली कन्या और महिलाओं की मनोकामना पूरी करते हैं।

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गणगौर पूजा का महत्व –

गणगौर पूजा और महिलाओं और कुंवारी कन्याओं के लिए यह पूजा बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है माना जाता है कि जो सुहागिन Gangaur व्रत करती है तथा भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती है उनके पति की उम्र लंबी हो जाती हैं। वही कुंवारी कन्या गणगौर व्रत करती है उन्हें मनपसंद जीवनसाथी का वरदान प्राप्त होता है। इस पर्व को 16 दिन तक लगातार मनाया जाता है और गौर का निर्माण करके पूजा की जाती है।

Gangaur नृत्य –

Gangaur राजस्थान एवं मध्य प्रदेश का प्रसिद्ध लोक नृत्य हैं।

इस नृत्य में कन्या एक दूसरे का हाथ पकड़कर वृताकार गेरे में गोरी मां से अपने पति की दीर्घायु की प्रार्थना करती हुई नृत्य करती है।

इस नृत्य के गीतों का विषय शिव-पार्वती, ब्रम्हा-सावित्री तथा विष्णु-लक्ष्मी की प्रशंसा से भरा होता है।

उदयपुर जोधपुर बीकानेर जयपुर को छोड़कर राजस्थान के नगरों की प्राचीन परंपरा है।

Gangaur नृत्य मध्य प्रदेश के निमाड़ अंचल का प्रमुख नृत्य हैं।

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Gangaur – गणगौर

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Gangaur का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?

इस पर्व में जहाँ कुंवारी लड़कियां इस दिन गणगौर की पूजा कर मनपसंद वर की कामना करती हैं, वहीँ शादीशुदा महिलाएं इस दिन गणगौर का व्रत रख अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना करती है. इस दिन महिलाएं Gangaur मतलब शिव जी और मां पार्वती की पूजा करते समय दूब से दूध की छांट देते हुए गोर गोर गोमती गीत गाती हैं।

गणगौर कहाँ की प्रसिद्ध है?

गणगौर प्रदेश का प्रमुख पर्व है। छारंडी के दिन से ही इसकी शुरूआत हो जाती है। एक माह से अधिक समय तक चलने वाले इस पर्व में मां पार्वती और भगवान शिव के प्रतीक रूप में ईसर और गवर की पूजा-अर्चना घर-घर होती है

Gangaur पर्व पर कौन सा नृत्य किया जाता है?

Gangaur राजस्थान का लोक नृत्य है। इसे राजस्थान में गणगौर त्योहार पर किया जाता है।

गणगौर का त्योहार कितने दिनों तक मनाया जाता है?

चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से चैत्र शुक्ल तृतीया तक 16 दिनों तक चलने वाले इस पर्व में कुंवारी लड़कियां जहां गण यानि शिव तथा गौर यानि पार्वती से मनपसंद वर पाने की कामना करती हैं।

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