Goga Navami: गोगा नवमी के दिन नागों की पूजा की जाती है ऐसी मान्यता है। कि गोगा देव की पूजा करने से सांपों से रक्षा होती है। गोगा देव की पूजा श्रावणी पूर्णिमा से आरंभ हो जाती है। तथा यह पूजा पाठ 9 दिनों तक चलता है। यानी नवमी तिथि तक गोगा देव का पूजन किया जाता है। इसलिए इसे गोगा नवमी कहते हैं। गोगा नवमी के दिन श्री जाहरवीर गोगा जी का जन्म उत्सव बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है
आधिकारिक नाम | गोगानवमी |
गोगाजी अन्य नाम | कायम खानी मुस्लिम समाज उनको जाहर पीर के नाम से पुकारते हैं |
गोगा जी का जन्म | नाथ संप्रदाय के योगी गोरखनाथ के आशीर्वाद से |
धर्म | हिन्दू और मुस्लिम |
अनुयायी | मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ और राजस्थान |
Table of Contents
Goga Navami in hindi –
गोगादेव को सिर्फ हिंदू ही नहीं बल्कि मुसलमान भी मनाते हैं इस दिन को गोगा नवमी के रूप में वाल्मीकि समाज अपने आराध्य देव वीर गोगा देव जी महाराज का जन्म उत्सव परंपरागत श्रद्धा भक्ति और उत्साह एवं उमंग के साथ हर्षोल्लास से मनाते हैं। Goga Navami का त्योहार अनेक राज्यों में मनाया जाता है यह त्यौहार मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ और राजस्थान में खास तौर पर मनाया जाता है क्योंकि यह पर्व राजस्थान का लोक पर्व है इसे Goga Navami भी कहा जाता है।
गोगा देव महाराज से संबंधित एक किवदंती के अनुसार गोगा देव का जन्म नाथ संप्रदाय के योगी गोरखनाथ के आशीर्वाद से हुआ था। योगी गोरक्षनाथ ने हीं इनकी माता बाछल को प्रसाद के रूप में अभिमंत्रित गूगल दिया था जिसके प्रभाव से महारानी बाछल से गोगादेव का जन्म हुआ। इस पर्व को बहुत ही श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाता है। इस अवसर पर बाबा गोगा जी के भगत अपने घरों में इष्टदेव की वेदी बना कर अखंड ज्योति जागरण कराते हैं। तथा गोगा जी देव जी की शौर्य गाथा एवं जन्म कथा सुनते हैं इस प्रथा को जाहरवीर का जोत कथा जागरण का जाता है। कई स्थानों पर इस दिन मेले भी लगते है। तथा शोभायात्रा निकाली जाती है। इस दिन अपने घरों में हवन करके जाहरवीर पूजा करते हैं तथा उन्हें खीर तथा मालपुआ का भोग लगाते हैं।
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गोगाजी राजस्थान के लोक देवता (Goga Navami) –

गोगाजी राजस्थान के लोक देवता हैं। जिन्हें जहांवीर गोगा राणा के नाम से भी जाना जाता है। राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले का एक शहर गोगामेडी है। यहां भादो की पंचमी और नवमी को गोगा जी देवता का मेला लगता है। इसे हिंदू और मुसलमान दोनों पूजते हैं गुजरात में रेबारी जाति के लोगों का जी को गोगा महाराज के नाम से बुलाते हैं। गोगा देव गुरु गोरखनाथ के परम शिष्य थे। उनका जन्म विक्रम संवत 1003 में चुरू जिले के ददरेवा गांव में हुआ था। सिद्ध वीर गोगादेव के जन्म स्थान राजस्थान के चुरू जिले के दत्तखेड़ा ददरेवा में स्थित है जहां पर सभी धर्म और संप्रदाय के लोग माथा टेकने के लिए दूर-दूर से आते हैं।
कायम खानी मुस्लिम समाज उनको जाहर पीर के नाम से पुकारते हैं। तथा उक्त स्थान पर मत्था टेकने और मन्नत मांगने आते हैं। इसलिए यह स्थान हिंदू और मुस्लिम एकता का भी प्रतीक माना जाता है। मध्यकालीन महापुरुष गोगाजी हिंदू, मुस्लिम, सिख संप्रदाय की श्रद्धा अर्जित कर एक धर्मनिरपेक्ष लोक देवता के नाम से पीर के रूप में प्रसिद्ध हुए हैं।
लोक मान्यता –
लोक मान्यता वे लोक कथाओं के अनुसार गोगाजी को सांपों के देवता के रूप में भी पूजा की जाती है। लोग इन्हें गोगाजी, जाहरवीर, राजा मंडलीक व जाहर पीर के नाम से पुकारते हैं यह गुरु गोरक्षनाथ के प्रमुख शिष्यों में से एक थे। जन्मदिन पर आज भी उनकी घोड़े का अस्तबल है। और सैकड़ों वर्ष बीत गए, लेकिन अभी वहीं पर है उक्त जन्म स्थान पर गुरु गोरक्षनाथ का आश्रम है और वही है गोगा देव की घोड़े पर सवार मूर्ति । भक्तजन इस स्थान पर कीर्तन करते हुए आते हैं और जन्म स्थान पर बने मंदिर पर माथा टेक कर मन्नत मांगते हैं।
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मुख्य कथा( गोगा नवमी ) –
राजस्थान के महापुरुष गोगाजी का जन्म गुरु गोरखनाथ के वरदान से हुआ था। गोगाजी की मां बाछल देवी निसंतान थी। गोगाजी की मां संतान प्राप्ति के सभी यत्न करने के बाद भी संतान सुख नहीं मिला। गुरु गोरखनाथ गोगामेडी के टीले पर तपस्या कर रहे थे। बाछल देवी उनकी शरण में गई तथा गुरु गोरखनाथ ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया। और एक गूगल नमक फल प्रसाद के रूप में दिया प्रसाद खाकर बाछल देवी गर्भवती हो गई। और तदुपरांत गोगा जी का जन्म हुआ गूगल फल के नाम से इनका नाम गोगाजी पड़ा। (Goga Navami)
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People also ask About Goga Navami –
भाद्रपद (भादों) मास की कृष्णपक्ष की नवमी को गोगा नवमी का पर्व मनाया जाता हैं। इसको गुग्गा नवमी (गुग्गा नौमि) भी कहा जाता है। गोगा नवमी पर जाहरवीर गोगा जी की पूजा-अर्चना की जाती हैं। लोक मान्यता के अनुसार गोगा जी की पूजा करने से सांपों का भय नही रहता, गोगा जी सर्पदंश से आपके जीवन की रक्षा करते हैं।
गोगाजी गुरुगोरखनाथ के परमशिष्य थे। उनका जन्म विक्रम संवत 1003 में चुरू जिले के ददरेवा(दत्तखेड़ा) गाँव में एक प्रतिष्ठित राजपूत परिवार हुआ था।
लोकमान्यता व लोककथाओं के अनुसार गोगा जी को सांपों के देवता के रूप में भी पूजा जाता है। इसीलिए इस दिन नाग देवता की भी पूजा होती है। आज भी सर्पदंश से मुक्ति के लिए गोगाजी की पूजा की जाती है।
राणा घंघ की पहली रानी से दो पुत्र हर्ष व हरकरण तथा एक पुत्री जीण का जन्म हुआ।
हर्ष व जीण लोक देवता के रूप में सुविख्यात हैं
गोगा जी का जन्म विक्रम संवत 1003 में चुरू जिले के ददरेवा गांव में हुआ था।
लोक देवता गोगाजी की घोडी का नाम नीली घोड़ी है जिसे ‘गौगा बापा’ कहते हैं !
उत्तर-पष्चिम में गोगामेड़ी, हनुमानगढ़ में है, इस समाधि स्थल को धुरमेड़ी भी कहते हैं। यहां के पुजारी चायल मुसलमान हैं जो गोगाजी चौहान के ही वंषज हैं। चारित्रिक विषेषताएं:- महापुरुष गोगाजी जाहरवीर हिंदू, मुस्लिम, सिख सभी संप्रदायों के लोकप्रिय देवता है, यह पीर नाम के रूप में भी प्रसिद्ध है।