Guru Nanak Gurpurab – गुरु नानक जयंती

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Guru Nanak Gurpurab - गुरु नानक जयंती

Guru Nanak Gurpurab: गुरु नानक जयंती 10 सिख गुरुओ के गुरु पर्व या जयंतीयो में सर्वप्रथम है। यह सिख पंथ के संस्थापक गुरु नानक देव की जयंती है। 10 गुरुओं में सर्वप्रथम गुरु, Guru Nanak का जन्म 1469 में लाहौर के पास तलमंडी में हुआ था। इनके पिता का नाम मेहता कालूचन्द खत्री तथा माता का नाम तृप्ता देवी था। मुख्य कार्यक्रम के दिन गुरु ग्रंथ साहिब को फूलों से सजाया जाता है और एक बेड़े पर रखकर जुलूस के रूप में पूरे गांव या नगर में घुमाया जाता है। शोभा यात्रा की अगुवाई पांच सशस्त्र गार्ड करते हैं तथा निशान साहब अथवा उनके तत्व को प्रस्तुत करने वाला सिख ध्वज लेकर चलते हैं।

जन्म15 अप्रैल 1469
मृत्यु22 सितंबर 1539 (करतारपुर)
स्मारक समाधिकरतारपुर
कार्यकाल1499–1539
पूर्वाधिकारीजन्म से
उत्तराधिकारीगुरु अंगद देव
धार्मिक मान्यतासिख पंथ की स्थापना
जीवनसाथीसुलक्खनी देवी
Guru Nanak in hindi

गुरु नानक जयंती पर , Guru Nanak जी के जन्म को स्मरण करते हैं। इसे गुरुपूरब/गुरु पर्व के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है ‘गुरुओं का उत्सव’। इनके अनुयायी इन्हें नानक, नानक देव जी, बाबा नानक और नानकशाह नामों से सम्बोधित करते हैं। नानक अपने व्यक्तित्व में दार्शनिक , योगी , गृहस्थ , धर्मसुधारक , समाजसुधारक , कवि , देशभक्त और विश्वबन्धु – सभी के गुण समेटे हुए थे । कार्तिक पूर्णिमा के दिन श्री गुरु नानक जी का जन्मदिन भी मनाया जाता है।

Guru Nanak देव जी का संदेश क्या था?

Guru Nanak देव जी ने भक्ति के अमृत-भक्ति रस के बारे में बात की थी। Guru Nanak देव जी भक्ति योग में पूरी तरह से विसर्जित एक भक्त थे , जबकि गुरु गोबिंद सिंह एक कर्म योगी थे (जो अपने कर्म या कर्म करने में विश्वास रखते थे)।

जब लोग सांसारिक मामलों में उलझ जाते हैं, Guru Nanak देव जी ने उन्हें अपने अंदर की ओर जाने के लिए प्रेरित किया – यही उनका संदेश था। Guru Nanak देव जी ने कहा, “इतने भी सांसारिक मामलों में मत उलझ जाओ कि आप परमेश्वर के नाम को भूल जाओ।

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हिन्दी साहित्य से सम्बन्ध-

हिन्दी साहित्य में Guru Nanak भक्तिकाल के अन्तर्गत आते हैं। वे भक्तिकाल में निर्गुण धारा की ज्ञानाश्रयी शाखा के कवि हैं। उनकी कृति के सम्बन्ध में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ‘हिन्दी साहित्य का इतिहास’ में लिखते हैं कि- “वे जो भजन गाया करते थे उनका संग्रह (संवत् 1661) ग्रन्थ साहब में किया गया है।”

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Guru Nanak Gurpurab – गुरु नानक जयंती

Guru Nanak की मृत्यु


जीवन के अन्तिम दिनों में इनकी ख्याति बहुत बढ़ गई और इनके विचारों में भी परिवर्तन हुआ। स्वयं ये अपने परिवार वर्ग के साथ रहने लगे और मानवता कि सेवा में समय व्यतीत करने लगे। उन्होंने करतारपुर नामक एक नगर बसाया, जो कि अब पाकिस्तान में है और एक बड़ी धर्मशाला उसमें बनवाई। इसी स्थान पर आश्वन कृष्ण १०, संवत् १५९७ (22 सितम्बर 1539 ईस्वी) को इनका परलोक वास हुआ। मृत्यु से पहले उन्होंने अपने शिष्य भाई लहना को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया जो बाद में गुरु अंगद देव के नाम से जाने गए।

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Guru Nanak Gurpurab क्यों मनाया जाता है?

गुरु नानक जयंती हर साल इसलिए मनाई जाती है क्योंकि गुरु नानक सिख धर्म के संस्थापक हैं. सिख समुदाय द्वारा उनकी पूजा की जाती है और उनका जन्म उनके महान जीवन का उत्सव है. सिख समुदाय सभी 10 सिख गुरुओं की जयंती मनाता है लेकिन यह बड़े पैमाने पर होती है क्योंकि वह पहले गुरु हैं और इस धर्म के संस्थापक भी हैं।

Guru Nanak जयंती का जन्म कब हुआ?

प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष कि पूर्णिमा तिथि को सिख धर्म के प्रथम गुरुगुरु नानक देव की जयंती मनाई जाती है।

गुरुपर्व क्यों मनाया जाता है?

सिख धर्म के संस्थापक: गुरुपुरब सिख धर्म के पहले गुरु, गुरु नानक देव के जन्म की याद दिलाता है

Guru Nanak देव का जन्म कब हुआ?

गुरु नानक का जन्म 1469 में लाहौर के पास तलमंडी में हुआ था।

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