Kumar Purnima: कुमार पुर्णिमा आश्विन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला त्यौहार है। यह त्यौहार उड़ीसा के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। मुख्यतः अविवाहित लड़कियां इस त्यौहार का पालन करती है। इस त्योहार पर अविवाहित लड़कियां एक सुंदर पति पाने की कामना करती है। इसलिए वह लड़कियां कुमार कार्तिकेय की पूजा-अर्चना करती है। पर विशेष रूप से भगवान के लिए कोई अनुष्ठान नहीं है। इसके अलावा सूर्य और चंद्रमा की पूजा भी की जाती है।
आधिकारिक नाम | कुमार पुर्णिमा |
अन्य नाम | शरद पूर्णिमा |
तिथि | आश्विन महीने की पूर्णिमा को |
धर्म | हिन्दू धर्म |
उद्देश्य | अविवाहित लड़कियां एक सुंदर पति पाने की कामना करती है |
अनुयायी | भारतीय,उड़ीसा और पश्चिम बंगाल |
पर्व का महत्व | इस त्यौहार को धन की देवी लक्ष्मी के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। इस कारण कई लोग अपने घरों में लक्ष्मी देवी की पूजा भी करते हैं। |
कुमार पुर्णिमा (Sharad Purnima) –
Kumar Purnima को शरद पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार पूर्णिमा साल में 12 बार आती है लेकिन शरद पूर्णिमा का एक विशेष महत्व है जिसे आसमां के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा यानी सिर्फ शरद पूर्णिमा पर ही चांद अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। माना जाता है कि इस रात चंद्रमा से निकलने वाली किरणें अमृत के समान रहती है। ऐसा भी माना जाता है कि इस पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी की पूजा करने से हमको मनचाहा फल मिलता है।
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Kumar Purnima पर लक्ष्मी पूजा उत्सव –
इस त्यौहार को धन की देवी लक्ष्मी के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।
इस कारण कई लोग अपने घरों में लक्ष्मी देवी की पूजा भी करते हैं।
यह पूजा उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में प्रसिद्ध है।
इस महीने में भगवान जगन्नाथ और श्री कृष्ण की भी पूजा होती है
जो Kumar Purnima के बाद से शुरू होकर रस पूर्णिमा तक होती है।
Kumar Purnima को कैसे मनाया जाता है –
अविवाहित कन्याएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करती है और सूर्य देव को अन्न बलि चढ़ती है। अविवाहित कन्याएं इस दिन पर उपवास भी रखती है। रात को जब चंद्रमा दिखता है तो वह एक विशेष प्रकार का प्रसाद बनाती है और पूजा समाप्त होने के बाद इसे ग्रहण करती है। यह त्योहार लड़कियों के लिए एक खुशी का त्योहार है जिस पर कई खेल खेले जाते हैं जिसमें से एक खेल जिसे ‘पुच्ची’ के नाम से जाना जाता है।

कुमार पुर्णिमा की कथा –
प्रत्येक महीने में आने वाली पूर्णिमा पर व्रत करने वाली अविवाहित कन्या को भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। एक समय की बात है भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए एक साहूकार की दो बेटियां व्रत किया करती थी। इन दोनों लड़कियों में बड़ी लड़की पूर्णिमा का व्रत पूरे तौर तरीकों से करती थी और छोटी लड़की व्रत तो करती थी लेकिन नियमों की पालना के अनुसार नहीं करती थी। वह लड़की नियमों को एक आडंबर मानकर नियमों को अनदेखा करती थी।
जैसे ही दोनों लड़कियां बढ़ी हुई उनके पिता ने दोनों लड़कियों का विवाह कर दिया। बड़ी लड़की के समय पर संतान का जन्म हुआ। छोटी लड़की के संतान हुई लेकिन उस संतान ने जन्म लेते ही दम तोड़ दिया। साहूकार की छोटी बेटी के दो तीन बार ऐसा होने पर उसने एक ब्राह्मण को बुलाया और अपनी व्यथा सुनाई।ब्राह्मण को इसका उपाय बताने के लिए भी कहा। उसकी सारी बातें सुनकर ब्राह्मण ने उस लड़की को कहा कि तुम पूर्णिमा का व्रत आधा अधूरा करती हो। इसलिए तुमको व्रत का पूरा फल नहीं मिल पाता।
ब्राह्मण देवता की बात सुनकर साहूकार की बड़ी लड़की ने पूर्णिमा व्रत को पूरे विधि विधान से करने का निर्णय लिया। उसके बाद पूर्णिमा व्रत से पहले ही उस लड़की के एक बच्चे का जन्म हुआ।वह बच्चा भी दम तोड़ देता है। तो उसने उस बच्चे को एक पीढ़े पर रखकर अपनी बड़ी बहन को बुलाया। और बिना बताइए अपनी बड़ी बहन को उस पीढे पर बैठने को कहा। जब बड़ी बहन बैठने लगी तो उसके पल्लू नजदीक जाने से वह लड़का जिंदा हो गया और बड़ी बहन क्रोधित हुई की अभी तो मेरे हाथों इस लड़के का देहांत करवा देती।
People also ask about kumar purnima –
शिव के सुंदर पुत्र कुमार या कार्तिकेय का जन्म इसी दिन हुआ था। वह युद्ध के देवता भी बने। चूंकि युवा लड़कियां हमेशा एक सुंदर पति की कामना करती हैं, इसलिए वे कुमार को प्रसन्न करती हैं जो देवताओं में सबसे सुंदर थे।
कहते हैं कि चंद्र की घटती और बढ़ती गति का मन पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है इसीलिए प्रमुख रूप से 5 बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। चंद्र कलाएं : अमृत, मनदा, पुष्प, पुष्टि, तुष्टि, ध्रुति, शाशनी, चंद्रिका, कांति, ज्योत्सना, श्री, प्रीति, अंगदा, पूर्ण और पूर्णामृत।