Maha Shivratri: महाशिवरात्रि का त्यौहार हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है महाशिवरात्रि का त्यौहार देव को देव कहे जाने वाले महादेव भगवान शिव जी के लिए समर्पित है महाशिवरात्रि का दिन संपूर्ण भारत वर्ष के साथ-साथ पूरे विश्व के हिंदू श्रद्धालुओं द्वारा बड़े हर्षोल्लास के भक्ति के साथ मनाया जाता है इस दिन हिंदू धर्म को मनाने वाले श्रद्धालु भगवान शिव जी की भक्ति करते हैं कई भक्तों Maha Shivratri के दिन व्रत का पालन भी करते हैं तथा रात भर भजन-कीर्तन करते हैं हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह पवित्र दिन फागुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन मनाया जाता है।
आधिकारिक नाम | महाशिवरात्रि |
महाशिवरात्रि का पर्व | यह पवित्र दिन फागुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन मनाया जाता है। |
अनुयायी | हिंदू धर्म |
उद्देश्य | शिवजी से योग्य वर की प्राप्ति के लिए कामना करती है। |
उत्सव | भगवान शिव जी उपवास एव पूजा |
हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार इस दिन सृष्टि का उदय हुआ था मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव के दिव्य तथा विशालकाय रूप अग्नि लिंग से सृष्टि का आरंभ हुआ था ऐसा माना जाता है कि Maha Shivratri के दिन भगवान शिव जी तथा माता पार्वती का विवाह हुआ था संपूर्ण वर्ष में कुल 12 शिवरात्रि होती है जिनमें से महाशिवरात्रि सबसे प्रमुख है कश्मीर में रहने वाले शैव मत के अनूयायी के इस दिन हर रात्रि
या हेरथ
कहते हैं और इस दिन को बहुत उत्साह के साथ मनाते हैं इसी तरह यह दिन उत्तर तथा दक्षिण भारत में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
Table of Contents
Maha Shivratri का महत्व –
भगवान शिव जी की हिंदू धर्म में बहुत प्रतिष्ठा है। भगवान शिव जी त्रिदेव में प्रमुख है।
और उन्हें महादेव का दर्जा प्राप्त है। Maha Shivratri के दिन भगवान शिव जी की पूजा और व्रत रखने का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने शिवलिंग के रूप में अपने को प्रकट किया था। यह अन्य मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि पर अविवाहित कन्या पूरे दिन व्रत का पालन करते हुए भगवान शिवजी की आराधना करती है। और शिवजी से योग्य वर की प्राप्ति के लिए कामना करती है। महाशिवरात्रि के दिन मंदिर में शिवलिंग पर जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करने से सभी तरह के सुख और मनोकामनाएं पूर्ण होती है। Maha Shivratri का दिन हिंदुओं के लिए इतना महत्वपूर्ण है कि सुबह से ही शिव मंदिरों में शिव भक्तों की भीड़ जुटना प्रारंभ हो जाती है।

महाशिवरात्रि व्रत कथा –
Maha Shivratri पर जो भी भगवान शिव जी का व्रत करते हैं वह व्रत कथा को सुनते हैं
महाशिवरात्रि व्रत कथा प्राचीन काल की बात है एक चित्रभानु नाम का शिकारी था।
वह अपने परिवार का पालन पोषण पशुओं की हत्या करके करता था।
एक साहूकार से उसने ऋण लिया हुआ था परंतु वे ऋण को चुकाने में असमर्थ था।
इस कारण साहूकार ने उसे क्रोधित होकर अपने पुराने घर में बंदी बना दिया।
इस घर के साथ ही एक शिवमठ भी था। जिस दिन उसे बंदी बनाकर रखा गया था उस दिन सहयोग से शिवरात्रि का दिन था। शिव मठ में उस दिन भगवान शिव जी की महिमा का वर्णन किया जा रहा था। तथा Maha Shivratri व्रत कथा का भी पाठ हुआ शिकारी ने बंदी लेते हुए भगवान शिव की महिमा सूनी तथा शिवरात्रि व्रत कथा को भी सुना। संध्याकाल जब हुआ तो साहूकार ने शिकारी को फिर से अपने पास बुलाया और उससे ऋण चुकाने के लिए कहा। साहूकार के ऋण चुकाने की बात पर शिकारी ने उसे आश्वासन दिया कि वे अगले दिन सारा का सारा देगा। साहूकार ने शिकारी की बात को मानते हुए उसे छोड़ दिया और ऋण को अगले दिन तक चुकाने का समय दे दिया।
Maha Shivratri festival in hindi –
इसके बाद शिकारी जंगल में शिकार करने के लिए गया दिन भर भूख प्यास से त्रस्त था और बहुत ही व्याकुल था। सूर्यास्त होने वाले था। जंगल में शिकार की तलाश में वे एक जलाशय के पास पहुंचा। जलाशय के पास एक पेड़ था। शिकारी उस पेड़ पर चढ़ गया शिकारी उस पेड़ पर इसलिए चुना क्योंकि उसको यह आशा थी कि सूर्यास्त के समय कोई ना कोई जानवर पानी पीने जरूर आएगा और मौका देखकर उसका शिकार कर लेगा जिस पेड़ पर शिकारी चढ़ा था। वह बेलपत्र का पेड़ था तथा उस पेड़ के नीचे एक शिवलिंग भी थी सूखे हुए बेलपत्र शिवलिंग के ऊपर पड़े होने के कारण वे शिवलिंग उनसे ढक गया था और दिखाई नहीं दे रहा था पेड़ पर चढ़ते समय कुछ बेलपत्र संयोग से शिवलिंग के ऊपर गिर गए इस प्रकार अनजाने में शिकारी का Maha Shivratri का व्रत पूर्ण हो गया ।
Maha Shivratri in hindi –
रात्रि का एक पहर बीत जाने पर एक गर्भ धारण किए हुए हिरणी पानी पीने जलाशय पर पहुंची शिकारी ने अपने धनुष पर तीर को चढ़ा कर जैसे ही प्रत्यंचा को खींचा तो उसकी बाजू के स्पर्श से कुछ बेलपत्र शिवलिंग पर जाकर गिर गए। बेल पत्रों पर रात्रि की ओर जमा होने के कारण शिवलिंग पर बेलपत्र और जल दोनों ही अर्पित हो गए इस प्रकार शिकारी की पहले पहर की भगवान शिवजी की पूजा भी अनजाने में हो गई तभी हिरणी की नजर शिकारी पर पड़ी और वह तुरंत वहां से भागकर झाड़ियों में लुप्त हो गई यह देख शिकारी को बहुत दुख हुआ।
और वह फिर से शिकार के आने की प्रतीक्षा करने लगा कुछ देर बाद रात्रि के दूसरे पहर में एक और हिरणी वहां पानी पीने आई और शिकारी ने तत्काल अपने धनुष पर बाण चढ़ाया बाण चलाते समय शिकारी की हलचल से कुछ बेलपत्र शिवलिंग पर गिर गए इस प्रकार अनजाने में फिर से शिकारी द्वारा भगवान शिव जी की दूसरे पहर में पूजा अर्चना हो गई।
परंतु इस बार फिर से हिरणी भागने में सफल रही और शिकारी हिरण का शिकार नहीं कर पाया। दो बार अपने शिकार को खोकर शिकारी चिंता में पड़ गया रात्रि का अंतिम पहर बीतने को आया था और तभी एक और हिरणी अपने बच्चों सहित जलाशय पर पानी पीने आए शिकार को देखकर शिकारी ने फिर से धनुष पर बाण चढ़ाया। जैसे शिकारी निशाना लगाने वाला था उसे हिरणी के बच्चों को देखकर अपने बच्चों की याद आ गई दयावान शिकारी द्वारा बाढ़ नहीं चलाया गया यह शिकारी के साथ पहली बार हुआ था कि दयावश से बाण नहीं चला पाया था
भगवान शिवजी की पूजा –
यह भगवान शिवजी की पूजा अर्चना का ही असर था शिकारी यह नहीं समझ पा रहा था कि उसके अंदर यह दया भाव कैसे उत्पन्न हुआ इस बार भी शिकारी शिकार नहीं कर पाया था और हिरणी अपने बच्चों के साथ पानी पीकर वहां से चली गई थी शिकारी फिर से शिकार की प्रतीक्षा करने लग गया और इस बार उसने ठान ली कि इस बार में जरूर शिकार करेगा।
Maha Shivratri in hindi –
शिकार के प्रतीक्षा में शिकारी बेलपत्र पेड़ से तोड़ता और नीचे गिराता जाता इस प्रकार वे बेलपत्र शिवलिंग पर अर्पित हो जाते इस प्रकार अनजाने में शिकारी से भगवान शिवजी की तीसरी और अंतिम पहर की पूजा हो गई शिकारी शिकार की प्रतीक्षा कर रहा था कि तभी वहां पर एक हिरण अपनी हिरणी तथा बच्चों के साथ पानी पीने आया इस बार जैसे ही शिकारी ने धनुष पर बाण चढ़ाया उसके अंतर्मन से यह पाप न करने की आवाज आई। वह व्रत, रात्रि जागरण तथा शिवलिंग पर बेलपत्र और जल के चढ़ने से शिकारी का हत्या निर्मल एवं सुधर चुका था।
उसमें दया भाव उत्पन्न हो चुका था और उसने भगवान की भक्ति की उर्जा का वास हो चुका था दयावश उस ने हिरण को उसके बच्चों तथा हिरणी के साथ वहां से जाने दिया शिकारी को अपने जीवन में की गई पशु हत्या पर बहुत आत्मग्लानि हुई और वह जोर जोर से रोने लगा शिकारी का हृदय अब कोमल हो चुका था। भगवान शिव जी ने प्रसन्न होकर शिकारी को दिव्य दर्शन दिया और शिकारी को सुख समृद्धि का वरदान प्रदान किया भगवान शिव जी की कृपा दृष्टि से शिकारी धन-धान्य से समृद्ध हो गया और उसने साहूकार का ऋण चुका दिया। अब शिकारी अपने गांव में व्यवसाय करने लगा और अपने परिवार के साथ सुख पूर्वक जीवन व्यतीत करने लगा।
Goga Navami | गोगा नवमी की पूरी जानकारी
Holi festival | होली पर्व की पूरी जानकारी
People Also Ask About Maha Shivratri–
महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2023) का त्यौहार इसलिए भी खास है
क्योंकि इस दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती का विवाह हुआ था।
इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है।
महाशिवरात्रि पर्व भगवान शिवशंकर के प्रदोष तांडव नृत्य का महापर्व है।
शिव प्रलय के पालनहार हैं और प्रलय के गर्भ में ही प्राणी का अंतिम कल्याण सन्निहित है।
शिव शब्द का अर्थ है ‘कल्याण’ और ‘रा’ दानार्थक धातु से रात्रि शब्द बना है,
तात्पर्य यह कि जो सुख प्रदान करती है, वह रात्रि है।
शिव पुराण में बताया गया है कि दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से अभिषेक करने पर भगवान भोलेनाथ अति प्रसन्न होते हैं। अगर आप इनमें से कोई वस्तु नहीं अर्पित कर पाते तो केवल जल में गंगाजल मिलाकर ही शिवजी का भक्ति भाव से अभिषेक करें। अभिषेक करते हुए महामृत्युंजय मंत्र का जप करते रहना चाहिए।
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने शिवलिंग के रूप में अपने को प्रकट किया था।
यह अन्य मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था।