Ugadi: उगादी पर्व दक्षिण भारत का एक महत्वपूर्ण पर्व है जिसे कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना जैसे राज्यों में नव वर्ष के रूप में भी मनाया जाता है उगादी उत्सव कई जगह युगादी के नाम से भी जाना जाता है। पंचांग के अनुसार उगादि त्योहार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा या हिंदू महीने चैत्र के पखवाड़े के पहले दिन पड़ता है तथा कैलेंडर के हिसाब से यह पर्व है मार्च या अप्रैल में आता है दक्षिण भारत में मनाए जाने वाले यह पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है तथा वसंत आगमन के कारण किसान इसे नयी फसल के आगमन का अवसर भी मानते हैं।
आधिकारिक नाम | तेलुगु नव वर्ष / कन्नड़ नव वर्ष |
अनुयायी | भारतीय, प्रवासी भारतीय |
उद्देश्य | दक्षिण भारत के अलावा और भी जगहों में इसे नववर्ष के रूप में मनाया जाता है |
तिथि | चैत्र शुक्ल प्रतिपदा |
धर्म | हिन्दू धर्म |
संस्कृत भाषा में Ugadi का अर्थ एक नवीन युग का आरंभ होता है तथा पौराणिक कथाओं के अनुसार ब्रह्मा जी ने इस शुभ अवसर पर ब्रह्मांड की रचना की थी। तथा उगादि त्योहार कई परिवारों के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है तथा वे अपने घरों को सजाने का बहुत प्रयास करते हैं उगादि की सजावट फूल रोशनी और रंगोलियां से की जाती है।
2023 में उगादि 22 मार्च, बुधवार को मनाया जाएगा।

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Ugadi पर्व मनाने वाले राज्य –
उगादी पर्व को भारत के दक्षिणी हिस्सों में बहुत धूमधाम से नए साल के आगमन की खुशी में मनाया जाता है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और महाराष्ट्र आदि राज्यों में इस पर्व के दिन माहौल देखने लायक होता है। विभिन्न क्षेत्रों में इसे अलग अलग नामों से जाना जाता है। इसे वसंत ऋतु के आगमन के रूप में और किसानों द्वारा नहीं फसल की खुशी में दक्षिण भारत में इस पर्व को मनाया जाता है। इसी के साथ साथ दक्षिण भारत के अलावा और भी जगहों में इसे नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। तेलुगु और कन्नड़ समुदाय के लोग चंद्र नव वर्ष को उगादी पर्व के रूप में मनाते है।
इस पर्व को युगादी और उगाड़ी नाम से भी जाना जाता है। महाराष्ट्र और अन्य क्षेत्रों में इसे गुड़ी पड़वा के नाम से जाना जाता है। कर्नाटक में भी पूरे अनुष्ठानों का पालन करते हुए इस नववर्ष के उत्सव को मनाया जाता है।
Ugadi त्योहार मानने के कारण –
उगादी का पर्व दक्षिण भारत के सबसे महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है, इसे नववर्ष के आगमन के खुशी में मनाया जाता है। उगादी के पर्व को लेकर कई सारी मान्यताएं प्रचलित हैं, ऐसी ही एक मान्यता के अनुसार जब शिवजी ने ब्रम्हा जी को श्राप दिया था कि कही भीं उनकी पूजा नही कि जायेगी, लेकिन आंध्रप्रदेश में उगादी अवसर पर ब्रम्हाजी की ही पूजा की जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इसी दिन ब्रम्हा जी ब्रह्माण्ड की रचना शुरु की थी। हिन्दू पंचांग की अनुसार Ugadi पर्व तेलुगु और कन्नड़ समुदायों के लिए नया साल होता है। नए साल के दिन को ही उगादी व युगादी उत्स्व के रूप में मनाया जाता है। संवत्सरदी युगादी के नाम से प्रसिद्ध त्यौहार को दक्षिण भारत के किसानों द्वारा नई फसल आने की ख़ुशी में पूरे उल्लास के साथ मनाया जाता है।
वहीं प्राचीन कथा के अनुसार धरती माता पर सूर्य देव की पहली किरण इस नववर्ष के अवसर पर ही पड़ी थी। इसी के साथ ब्रह्म पुराण में कहा गया है कि सृष्टि की रचना के लिए भी ब्रह्मा जी ने इसी दिन का चयन किया था। कुछ स्थानों में इसे भगवान राम जी, तो कहीं विक्रमादित्य और धर्मराज युधिष्ठिर के राज्याभिषेक के के तौर पर इस दिवस को भक्तों द्वारा मनाया जाता है।
उगादी का महत्व-
इस दिन भगवान श्री विष्णु जी के मत्स्यावतार का पृथ्वी पर जन्म हुआ था। आंध्र प्रदेश में इस दिन ब्रम्हा जी का पूजन किया जाता है। इस दिन को भक्तों द्वारा पूरी आस्था से मनाया जाता है। चैत्र मास के पहले दिन लोग दुकानों का शुभारंभ करते है और नए व्यापार के लिए यह दिन बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन पेय जल की बहुत पुराणी परम्परा चली आ रही है। जिसमें एक मिट्टी के बर्तन में नीम के फूल, नारियल, गुड़, आम और इमली आदि चीजों को मिला कर एक काढ़ा बनाया जाता है। जिसे इस दिन अपने सम्बन्धियों और पड़ोसियों में बांटा जाता है।
माना जाता है मौसम के बदलने पर बीमारियां लगने की संभावनाएं काफी अधिक हो जाती है और यह काढ़ा हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाता है। इस पेय जल को गरीबों को भी पिलाया जाता है। इसे पचड़ी कहा जाता है। इस पर्व पर एक और परम्परा प्रचलित है जिसमें इस दिन स्न्नान से पहले शरीर पर तेल और बेसन लगाया जाता है। पूजा के समय एक सफेद कपड़े पर चावल, हल्दी और केसर से अष्टदल बनाया जाता है, जिसका पूजा में प्रयोग किया जाता है। इस दिन को भक्तों द्वारा बहुत आस्था और श्रद्धा से मनाया जाता है।
People also ask about Ugadi –
उगादी को कर्नाटक में नए साल के रूप में मनाया जाता है।
आंध्र प्रदेश में मनाए जाने वाले अन्य प्रसिद्ध त्योहार संक्रांति और रोटी महोत्सव हैं।
उगादी के दिन सृष्टि की रचना करने वाले ब्रह्मा जी की पूजा की जाती है। यह पर्व प्रकृति के बहुत करीब लेकर आता है और इस दिन पच्चड़ी नाम का पेय पदार्थ बनाया जाता है जो काफी सेहतमंद होता है। इस शुभ दिन दक्षिण भारत में लोग नये कार्यों का शुभारंभ भी करते हैं, जैसे- नये व्यापार की शुरूआत, गृहप्रवेश आदि।
2023 में उगादि 22 मार्च, बुधवार को मनाया जाएगा।